शनिवार, 27 दिसंबर 2008
साल की आखरी पोस्ट
सोमवार, 8 दिसंबर 2008
आओ कुछ कर के दिखाए
शनिवार, 29 नवंबर 2008
सुरक्षित रहना है तो मिलकर लडो,आगे बढो
आप करे शुरुवात हम करे शुरुवात तभी तो हम शायद आने वाली पीढीयो को एक सुरक्षित भविष्य की गारंटी दे सकते है ।
बुधवार, 19 नवंबर 2008
सामाजिक विषमताओ का भारत
रविवार, 2 नवंबर 2008
सूर्यदेव की अराधना का पर्व - छ्ठ पूजा
मुंबई शहर मे तो वो रोमांच नही है और "राज" नीती के ठेकेदारो ने इस पर्व के मनाने को भी एक मुद्दा बना दिया है । पिछले कुछ वर्ष से मै शाम के समय जूहू बीच पर जाया करता हूँ था पर भीड अत्याधिक होने की वजह से वहाँ ज्यादा देर रुक नहीं पाता पर "लिट्टी-चोखा" के स्टाल से उसका आनंद तो ले ही लिया करता हूँ ।
सोमवार, 27 अक्तूबर 2008
आप क्या सोचते है , "राहुल - राज " का कत्ल हुआ है य़ा एनकांउटर
बुधवार, 22 अक्तूबर 2008
क्या हम हिंदुस्तानी नहीं है
शनिवार, 18 अक्तूबर 2008
मेरे सपनो की उडान
सर पर हो एक अपनी छत
शहर मे हो एक अपना मकान
चार पहियों वाला एक वाहन हो
जिसमे घ्रर से दफ़्तर
दफ़्तर से घर आवागमन हो ।
घर मे एक सुंदर पत्नी हो
दफ़्तर मे एक सुंदर संगिनी हो
बॉस सदा रहे मुझ पर मेहरबान
मेरे सपनो की उडान ।
पत्नी मुझसे कभी न रूठे
संगिनी का साथ भी कभी ना छूटे
हफ़्ते भर हो संगिनी का संग ।
सप्ताहांत मे पत्नी रखे मेरा ध्यान
पत्नी संग छुट्टी मनाउँ
दूर हो एसे हफ़्ते भर की थकान
मेरे सपनो की उडान ।
मुझ संग हो न कोइ अनहोनी
बम भी फटे तो मुझसे दूर
जिंदगी है छोटी ,बडे बडे है अरमान
मेरे सपनो की उडान ।
गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008
अब आगे बढना है हमे
लांघ कर इनको है जाना ।
पाषाण-सम बाधाओ को तोडकर, नदी की मानिंद बहना है हमे,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
मेहनत से हम जी न चुराए,
साथ मिलकर श्रम-नीर बहाए ।
स्वर्ण-सम उज्जवलित रहने के लिये , श्रम-अग्नि मे तपना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
मोह तुमको बीच पथ मे रोकेगा और टोकेगा,
मंजिल हो जायेगी दृष्टि से ओझल ।
मोह-पाश के इस चक्र्व्यूह को, तोडकर निकलना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
अब समय आ गया है,
दुनिया को हम ये दिखा दे हम मे कितना सामर्थ्य है ।
विश्व रुपी इस गगन मे, सूर्य सा चमकना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
ये लाइने मैंने ख़ुद को प्रोत्साहित करने के लिए लिखी है :
शनिवार, 11 अक्तूबर 2008
जन्मदिन मुबारक महानायक
मंगलवार, 7 अक्तूबर 2008
अलविदा दादा
सोमवार, 6 अक्तूबर 2008
विडंबना - २
रात्रि के करीब दो बजे मेरी ट्रेन इलाहबाद स्टेशन पर पहुंची , भूखा होने की वजह से मैं किसी अच्छे होटल की तलाश में स्टेशन से बाहर निकला तो एक डिसेंट होटल मिला अन्दर जाकर मैंने रोटी जो कि गर्मागर्म तंदूरी से निकल रही थी और एक सब्जी आर्डर की । खाना खाते हुए मेरी दृष्टि होटल की दीवार पर लिखे हुए संदेश पर गई जहा बड़े अक्षरो में लिखा था "धुम्रपान निषेध", "शराब पीना मना हैं " । खैर खाना खाते हुए ही जब मेरी दृष्टि मेरे दाई ओर स्थित टेबल पर गई तो मैंने देखा की वहा पर शराब पी जा रही थी और वेटर उन्हें बाकायदा चखना भी मुहैया करा रहा था । मैंने मेरे टेबल पर आए हुए वेटर से जब पुछा तो उसने मुझे बताया की वे लोग ट्रक ड्राईवर हैं और नियमित ग्राहक हैं इसलिए उन्हें ये सुविधा प्राप्त हैं।
हमारे देशवासियॊं में ये एक बात हैं की हम उन लोगो के प्रति जो की नियमित हमारे संपर्क में आते हैं और जिनसे हमारा तनिक भी लगाव होता है हम उन्हें विशेष सुविधाये मुहैया कराने में पीछे नही हटते और कभी - कभी तो कुछ महीनो की जान-पहचान में ही हम लोगो पर पूर्ण रुप से विश्वास कर लेते है,इस विश्वास को पक्का होने मे कम समय लगता है जब संबधित व्यक्ति से हमारा कोइ व्यवसायिक फ़ायदा जुडा हो,पूर्ण रूप से उनके बारे में जाने बिना ये धारणा बना लेते हैं की वे लिए हम जाने अनजाने उन्हें कुछ न कुछ विशेष सुविधाए प्रदान करते हैं ।वर्तमान समय मे जब सुरक्षा की दृष्टी से हम एक नाजुक मोड पर है हमें हमारी इस पुरानी आदत को बदलना होगा ।
हमेंशा सतर्क रहे और किसी भी व्यक्ति के उपर आसानी से विश्वास न करे इसी मे समाज और देश की भलाई है और इसकी शुरवात हम उपर लिखे हुए छोटे उदाहरण से कर सकते हैं अपने नियमित ग्राहक को भी नियम के खिलाफ़ शराब न परोसकर
गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008
इलाहाबाद प्रवास - १
गुरुवार, 25 सितंबर 2008
विडम्बना
"नम्बर एक निशानेबाज ने ओलंपिक में स्वर्ण जीता तो सरकार ने उसे एक करोड़ का इनाम दिया, दूसरे नम्बर एक निशानेबाज ने अपने प्राण आतंकवादियों से लड़ते हुए त्याग दिए सरकार ने उसे पॉँच लाख रुपये दिए , सोचिये की असली विजेता कौन हैं "
यह संदेश हम नौजवानों के मन में सवाल पैदा करता हैं कि, देश के लिए प्राणों की आहुति देनेवाले नौजवान यदि अपने परिवार की चिंता करने लगे तो इस देश में क्या हालात पैदा होंगे वही दूसरी ओर ये भी सोचने को मजबूर करता हैं की देश के लिए मर मिटने का जज्बा युवाओ से सदा के लिए ख़त्म भी हो सकता हैं । आतंकवाद रुपी दानव को ख़त्म करने के लिए हमें उसी जज्बे की जरूरत है जो की इंस्पेक्टर शर्मा जैसे जांबाज सिपाही ने दिखायी हैं, जो अपने बीमार बेटे की सुधि लेने की बजाय आतंकवादियों से लोहा लेने के लिए बिना किसी सुरक्षा के ही पहुँच गया, किंतु सरकार का ये सौतेला व्यवहार देश की सेवा करने को उत्सुक युवाओं के मन को बदल सकती हैं । आज के समय में केवल सम्मान और मैडल से ही जिंदगी नही चलती, जीवन को चलाने के लिए पैसो कि आवश्यकता होती हैं, जिसकी कमी हमें ऐसे वीरो को और उनके शहीद होने के पश्चात उनके परिवार को नही होनी देनी चाहिए तभी देशप्रेम का जज्बा कायम रहेगा और भगत सिंह के इस देश में हर कोई चाहेगा की उसके परिवार का भी कोई व्यक्ति देश के लिए प्राण न्योछावर करे ।
अपने इस पोस्ट को अंत करते हुए एक हास्यकवि द्वारा कही गई बात का उल्लेख करता हूँ । कवि कहता हैं की इस वक्त हर समय हर व्यक्ति यही चाहता हैं की उसके पड़ोसी का बेटा भगत सिंह जैसा बने उसका बेटा नही क्योकि भगत सिंह की मृत्यु तो जवानी में ही हो गई थी , यदि उनका बेटा यदि जवानी में शहीद हो गया तो उनके बुढापे का क्या होगा ।
सरकार यदि इस कवि की बात को सच होने से रोकना हैं तो अपना रवैया और दृष्टिकोण दोनों ही बदलने होंगे ।
शुक्रवार, 19 सितंबर 2008
फिल्मे जो मैंने देखी
रविवार, 14 सितंबर 2008
गणेशोत्सव और राजनीती
शुक्रवार, 12 सितंबर 2008
संकोच
बुधवार, 10 सितंबर 2008
दर्शन कब दोगे "राजा"
गुरुवार, 14 अगस्त 2008
स्वंतंत्रता दिवस और अभिनव
शुक्रवार, 1 अगस्त 2008
मेडिकल टूरिस्म एक हकीक़त या सपना
शनिवार, 19 जुलाई 2008
हफ्ते का ब्यौरा
साँझ ढलते ही घर की ओर रुख करते हैं हम ,
मौका मिले तो कुछ इधर उधर तांक - झांक करते है हम
कभी इस मॉल में कभी उस स्टोर पे रुकते है हम
जेबे हलकी होती हैं शामो को ही ।
मन मचलता हैं चाट की दुकानों पर
पिज्जा - बर्गर देख मुँह में पानी आता हैं
जाम छलकाने को जी चाहता हैं भीगी शामो में
आज कर लेते हैं बाहर हीं डिनर मन में यही ख्याल आता हैं
नई फ़िल्म के हीरो की ड्रेस पसंद आती हैं
स्टाइल हमारा भी कुछ नया हो यही सोचते हैं
स्टोर्स में ऑफर तो कई हैं खीच ले जाती हैं ये बात हमें
नित नए ढंग से संवरने का ही ख्वाब हम देखते हैं .
हर शुक्रवार को नई फ़िल्म आती हैं
शनिवार के शाम का प्रोग्राम बनवाती हैं
सन्डे तो छुट्टी का दिन हैं इसलिए शनिवार की रात फ़िल्म देखकर ही बिताते हैं .
अलसाया सा दिन हैं ये रविवार का
पर राशन तो हैं लाना हफ्ते भर का
दुकानों के चक्कर और मॉल में जाना
हो सके तो लंच बाहर ही कर आना .
ये हैं ब्यौरा हफ्ते भर जाने कब जाए गुजर
आया सोमवार लगो काम पर यही हमारी जिंदगी का सफर ।
रविवार, 18 मई 2008
विश्व का एक असुरक्षित कोना
गुरुवार, 24 अप्रैल 2008
देख तमाशा क्रिकेट का
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आज सुबह दफ़्तर पहुँचते ही मोबाइल पर घर से फोन आया देखकर मै चौंक गया,मेरी माँ ने मुझे बताया कि अंधेरी-कुर्ला रोड पर बस में फायरिंग हूइ है ।मन ...
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सानिया और शोएब ने शादी करने का फैसला किया है, ये वही शोएब है जिन्हें उनके देश के क्रिकेट बोर्ड ने टीम की हार का जिम्मेदार मानते हुए है एक स...
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आज चुनावो की चर्चा के क्रम इस सरकार द्वारा लिए गए कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों और उनके परिणामो की चर्चा करना उचित होगा :- १) नोटबंदी :- यह कदम...
FIGHT OF COVID - VIEW FROM A COMMONER
THE SITUATION IS GRIM AND A VIRUS HAS TAKEN US ALL INTO A SITUATION THAT WE ALL WANT TO GET OUT OF, BUT ARE ANXIOUS, RELUCTANT AND UNABLE ...