पन्द्रह अगस्त की इस भोर में ब्लॉग लिखते हुए आजादी का एहसास और अभिनव बिंद्रा द्वारा जीते गए पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक की खुशी दोनों ही अपने चरम पर हैं। मैंने प्रथम महिला रास्ट्रपति का देश के नाम संदेश भी सुना आतंकवाद उनके इस भाषण प्रमुख केन्द्र था । खैर छोडिये इन बातों को ये वक्त अभिनव बिंद्रा द्वारा जीते गए प्रथम स्वर्ण पदक की खुशी मानाने का हैं , सौं वर्षो से भी अधिक ओलंपिक खेलो के इतिहास में हिंदुस्तान ने अबतक ८ स्वर्ण पदक जीते हैं पर ये सारे के सारे टीम खेल हॉकी में जीते हैं इसलिए अभिनव ने ये पुराना हिन्दुस्तानी सपना पुरा करके अपना स्वर्ण अक्षरो में इतिहास में दर्ज करा लिया हैं । पदक जीतने के बाद उनके चेहरे के साधारण भाव जिन पर सफल होने की कोई भंगिमा नही थी उनके अडिग निश्चय और ख़ुद पर भरोसा करने का प्रतिक हैं साथ ही साथ ये भारत को तथा भारतीय खेलो को नई उँचइयो तक ले जायेगा साथ ही साथ हर खिलाड़ी को ये याद दिलाएगा की हम भी स्वर्ण पदक जीत सकते हैं ।
गुरुवार, 14 अगस्त 2008
शुक्रवार, 1 अगस्त 2008
मेडिकल टूरिस्म एक हकीक़त या सपना
चिकित्सा छेत्र में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार कमी आ रही हैं । एक अंग्रेजी दैनिक में छापी यह ख़बर मेरा ध्यान इसलिए खींचती हैं क्योकि मेरे सपनो में भी यह पेशा आता था । पर शायद अच्छी आर्थिक स्थिति नही होने के कारण शायद मैं इस ओर नही जा पाया और एक कन्वेंशनल स्टडी की । फिर भी इस ख़बर पर आते हुए अख़बार के अनुसार लम्बी पढ़ाई के पश्चात कम कमाई होना इसका प्रमुख कारण हैं । अत्यधिक तनाव हम के अधिक घंटे और कभी कभी दुर्घटना के शिकार हुए लोगो के परिजनों द्वारा दुर्व्यवहार इस पेशे से जुड़ी कुछ आम समस्याए हैं . हमारा ये सपना रहा हैं की सस्ते और बेहतर चिकित्सा सुविधाए अपने देश में तैयार करके हम मेडिकल टूरिस्म का प्रमुख केन्द्र बने किंतु यदि कुशल डौंक्टरो की ही कमी हो जायेगी तो ये शायद ये सपना ही रह जाएगा ।
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