गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

अब आगे बढना है हमे

पथ मे कांटे कई बिछे है ,मार्ग रोकती बाधाए ,
लांघ कर इनको है जाना ।
पाषाण-सम बाधाओ को तोडकर, नदी की मानिंद बहना है हमे,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
मेहनत से हम जी न चुराए,
साथ मिलकर श्रम-नीर बहाए ।
स्वर्ण-सम उज्जवलित रहने के लिये , श्रम-अग्नि मे तपना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
मोह तुमको बीच पथ मे रोकेगा और टोकेगा,
मंजिल हो जायेगी दृष्टि से ओझल ।
मोह-पाश के इस चक्र्व्यूह को, तोडकर निकलना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
अब समय आ गया है,
दुनिया को हम ये दिखा दे हम मे कितना सामर्थ्य है ।
विश्व रुपी इस गगन मे, सूर्य सा चमकना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।


ये लाइने मैंने ख़ुद को प्रोत्साहित करने के लिए लिखी है :

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