पथ मे कांटे कई बिछे है ,मार्ग रोकती बाधाए ,
लांघ कर इनको है जाना ।
पाषाण-सम बाधाओ को तोडकर, नदी की मानिंद बहना है हमे,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
मेहनत से हम जी न चुराए,
साथ मिलकर श्रम-नीर बहाए ।
स्वर्ण-सम उज्जवलित रहने के लिये , श्रम-अग्नि मे तपना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
मोह तुमको बीच पथ मे रोकेगा और टोकेगा,
मंजिल हो जायेगी दृष्टि से ओझल ।
मोह-पाश के इस चक्र्व्यूह को, तोडकर निकलना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
अब समय आ गया है,
दुनिया को हम ये दिखा दे हम मे कितना सामर्थ्य है ।
विश्व रुपी इस गगन मे, सूर्य सा चमकना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
ये लाइने मैंने ख़ुद को प्रोत्साहित करने के लिए लिखी है :
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
-
नया वर्ष दरवाजे पर दस्तक दे रहा है , समय है नए साल के लिये अपने लक्ष्य तय करने का, रिजोलूश्यन बनाने का । इस वर्ष फिटनेस पर ध्यान देना है , इ...
-
दशा और परिस्थिती कभी एक समान नही रहते और राजनीती मे तो प्रतिक्षण इनमे बदलाव होते रहते है । जिस व्यक्ति ने एक वक्त सारे लोगॊ के विरोध को सह...
-
साँझ ढलते ही घर की ओर रुख करते हैं हम , मौका मिले तो कुछ इधर उधर तांक - झांक करते है हम कभी इस मॉल में कभी उस स्टोर पे रुकते है हम जेबे ह...
FIGHT OF COVID - VIEW FROM A COMMONER
THE SITUATION IS GRIM AND A VIRUS HAS TAKEN US ALL INTO A SITUATION THAT WE ALL WANT TO GET OUT OF, BUT ARE ANXIOUS, RELUCTANT AND UNABLE ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें