मंगलवार, 7 अक्तूबर 2008

अलविदा दादा


आज सौरव गांगुली ने संन्यास लेने की घोषणा कर दी है । इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट इतिहास मे एक युग का अंत हो गया ।उनके संन्यास लेने के बारे में चर्चा तो काफ़ी दिनो से चल रही थी किंतु इस प्रकार वे इतनी जल्दी इसकी घोषणा कर देंगे ये किसी ने नही सोचा था । कुछ लोग इसे दादा और बोर्ड के बीच हुआ एक करार मानते है किंतु मेरी राय में यह उनके लगातार परीक्षण और स्वंय को साबित करने का दबाव का परिणाम हैं ।आगामी श्रॄंखला में स्वंय़ को चयनित करवाने के लिए उन्हे अपने कई वर्ष बाद आये सुरेश रैना की कप्तानी में भारतीय ए टीम में खेलना पडा , इस घटना ने उनके आत्मसम्मान को जो ठेस पहूँचाई उसका अंत उनके संन्यास लेने की घोषणा के साथ ही हुआ । जब भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वे पहली बार लॉर्डस के एतिहासिक मैदान पर उतरे तो अपनी पहली पारी में ही शतक ठोंक कर उन्होंने अपने आगमन का अहसास करा दिया । उनका कैरियर उतार - चढाव से भरपूर रहा पर उसमे एक सुखद मोड तब आया जब मैच फिक्सिंग के काले साये की वजह से भारतीय कप्तान का पद खाली हुआ और सिनीयर खिलाडी सचिन तेंदुलकर ने काँटो का ताज पहनने से इनकार कर दिया ।ऑफ साइड मे भगवान का दर्जा रखने वाले इस जुझारु खिलाडी की कप्तानी में भारतीय टीम ने कई मुकाम हासिल किये, जिनमे पाकिस्तान मे टेस्ट और वन-डे श्रॄंखला में जीत, नाटवेस्ट ट्रॉफी और वर्ल्ड कप फाइनल प्रमुख है । सौरव गांगुली को कपिल देव के पश्चात ऎसे भारतीय कप्तान के रुप मे याद किया जाएगा जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक नये मुकाम पर पहुँचाया । सौरव गांगुली के संन्यास लेने से टीम ने एक जुझारु और संर्घषशील खिलाडी को खो दिया है जिसकी जगह शायद ही कोई ले सके ।

1 टिप्पणी:

  1. सुना समाचार में..सही समय है..अलविदा... फिर मिलेंगे बेहतर मुकाम पर!!

    जवाब देंहटाएं

FIGHT OF COVID - VIEW FROM A COMMONER

THE SITUATION IS GRIM AND A VIRUS HAS TAKEN US ALL INTO A SITUATION THAT WE ALL WANT TO GET OUT OF, BUT ARE ANXIOUS, RELUCTANT AND UNABLE ...