१) नोटबंदी :- यह कदम इस सरकार के द्वारा उठाये सबसे अधिक विवादित कदमो में से एक है और इसने देश के लगभग प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित किया है । ये सत्य है की इस कदम से कई लोगो को अत्यधिक परेशानी हुई और कष्ट झेलने पड़े किन्तु , यह भी सत्य है की काला धन रखने वालो के लिए, अपने धन को निकालकर बाँटने/जलाने/बहाने की नौबत जरूर आई , कई लोगो के वर्षो से अटके हुए, पैसे लोगो ने बुला बुलाकर लौटाए , विशेष रूप से निर्माण क्षेत्र में नोटबंदी की वजह से लोगो ने अपने काले पैसे को भुनाने के लिए अपने कॉन्ट्रैक्टर्स न केवल एडवांस पेमेंट किया बल्कि उनके रुके हुए पैसे भी लौटा दिए । अमीर लोग काले पैसे से ही अमीर बनते है, समाज में फैली, ये कुछ हद तक सत्य अवधारणा, लोगो में इस कदम का खुल कर विरोध करने का साहस नहीं दे पाती । बेहतर भविष्य के लिए ऐसे कड़े फैसले लेने ही होंगे ये विश्वास दिलाने सरकार सफल हुइ है । यही कारण है की विपक्षी पार्टिया इन मुद्दों पर जोर न देकर केवल राफेल के मुद्दे को हवा दे रही है । सच कहे तो ये मेरा ये मानना है की हाथ पर हाथ धरे बैठे रहनेवाली सरकार से बेहतर है की सरकार फैसले ले , फैसलों का हश्र क्या होगा ये इतिहास तय करेगा किन्तु जैसा चल रहा है वैसा चलने दो ये मानसिकता सरकारों में न हो तो बेहतर ।
२) वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) : इस सरकार द्वारा लिया गया ये सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक कदम था । ये सत्य है की हमारे विशाल देश में जटिल टैक्स नियम और राज्यों तथा केंद्र के अलग अलग टैक्स व्यवस्थाएं औद्योगीकरण में बाधक रहे है । सारे राज्यों को साथ लेकर उनकी सहमति से नयी व्यवस्था लागू कर पाना इस सरकार की उपलब्धि ही कहलाएगी । ये भी सही है की व्यवस्था में इतने बड़े बदलाव को लागू करने में इतने विशाल देश में कुछ समस्याएं आएँगी ही किन्तु सरकार ने समय समय पर कॉउन्सिल की बैठक करके एवं आवश्यक ऐसे बदलाव करके , आनेवाली समस्याओ को कम करने का प्रयास किया । क्या जीएसटी की वजह से छोटे व्यापारियों का नुक्सान हुआ है ? यह सवाल मैंने अनेक न्यूज़ चैनलो पर सुना, इसके अलग अलग जवाब भी सुने, किन्तु यदि प्रैक्टिकल अपने अनुभव के आधार पर कहू तो मुझे ऐसा नहीं लगता , लोग जीएसटी क्रेडिट लेने के लिए अब अपने बिलो का भुगतान समय पर करने लगे है , कुछ पूर्णतया नगद आधारित छोटे उद्योग जरूर प्रभावित हुए है किन्तु वे भी व्यवस्था के तहत आकर पुनः अपना काम कर सकते है । ये सही है की जब व्यवस्थाओ में बदलाव होते है तो जमीनी स्तर पर समस्याएं उत्पन्न होती है किन्तु ऐसे समय में ये महत्वपूर्ण है की क्या बदलाव लम्बे समय में सकारात्मक होंगे , यदि इस प्रश्न का उत्तर आपके लिए भी हां है, तो आप सरकार के इस कदम की आलोचना नहीं कर सकते ।
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