बुधवार, 28 मार्च 2012
वापसी की पोस्ट - फिल्मे
पिछले हफ्ते मैंने दो सस्पेंस थ्रिलर फिल्मे देखी एक बहुत ज्यादा अच्छी और दूसरी उतनी ही ज्यादा बेतुकी !मैं उन फिल्मो का नाम नहीं लूँगा किन्तु आप खुद ही समझ जायेंगे | एक सुलझे हुए किरदारों से भरी हुई दूसरी ऐसी जिसमे कुछ किरदारों को ही नहीं पता चला होगा की वे फिल्म में क्या कर रहे हैं | एक में मुख्य किरदार नायिका तो दुसरे में नायक | एक फिल्म देखने के बाद ऐसा महसूस हुआ की पैसे वसूल हो गए तो दूसरी फिल्म देखने के बाद एसा लगा की ये फिल्म देखी ही क्यों |दोनों ही फिल्मे एक ही विधा की थी किन्तु दोनो में जमीन - आसमान कर फर्क नजर आया | उम्मीद है दूसरी फिल्म के प्रोडूसर को अकल आ जाये और वो अपनी इस फिल्म के सिक्वल में वो गलतियाँ ना दोहराये जो उन्होंने इस फिल्म में की हैं |
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