सोमवार, 27 अक्टूबर 2008
आप क्या सोचते है , "राहुल - राज " का कत्ल हुआ है य़ा एनकांउटर
आज सुबह दफ़्तर पहुँचते ही मोबाइल पर घर से फोन आया देखकर मै चौंक गया,मेरी माँ ने मुझे बताया कि अंधेरी-कुर्ला रोड पर बस में फायरिंग हूइ है ।मन में कौतूहल जगा कि जाने की माजरा क्या है इसलिए समाचार चैनलो के वेबसाइट्स टटोलने लगा । शुरवाती खबरो के मुताबिक जिस व्यक्ति की एनकांउटर मे मौत हुई उसका नाम राहुल राज है वह पटना का रहना वाला है और वह राज ठाकरे से बात करना चाहता था ।वह देशी तमंचा लेकर बस मे चढ गया और लोगो से कहने लगा कि उसे राज ठाकरे से बात करनी है,हालांकि उसने सभी यात्रियों से कहा कि उसकी उनसे कोइ दुश्मनी नही है और वह किसी को भी चोट नही पहुँचाना नही चाहता ।शायद,वह जोश में आकर अपनी बात लोगो तक पहुँचाना चाहता था, उसे लगा होगा कि एसा करने से वो कुछ दिनो की सजा ही पायेगा ।पर मुझे उसके हश्र को देखकर फिल्म "रंग दे बसंती" का क्लाइमेक्स सीन याद आ गया ।खैर जो कुछ भी हुआ हो इस पर मै अपनी राय पोस्ट के अंत में दूँगा, सर्व-सामान्य जनता की आवाज कहे जाने वाले राजनीतीक नेताओ के बयान कैसे आए उनपर एक नजर डालना जरूरी है ।महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने अपने बयान मे कहा कि पुलिस ने जो कुछ भी कार्रवाई की है वो सराहनीय है,मुंबई में गोली का जवाब गोली से दिया जाना ही उचित है और पुलिस ने वही किया है ।वही दूसरी ओर एकजुट हो कर के प्रधानमंत्री से मिलने गए बिहार के नेताओ ने न्यायिक जाँच की माँग करते हुए इसे एक हत्या करार दिया ।समाज के दो टुकडे करनेवाले इन बयानो से हालात और बिगड सकते है जहाँ एक ओर मराठी समाज उपमुख्यमंत्री के बयान को सही करार दे रहा है वही उत्तर भारतीय समाज अपने नेताओ लालू और नीतीश के बयानो को सही ठहरा है ।मै पाठको से विडीयो देखकर ये जानना चाहूँगा कि उनकी राय क्या है । इस विडीयो को देखकर एसा लगता है कि युवक कोइ पेशेवर अपराधी या आतंकवादी नही है हाँ वह जोश मे आकर अपने होश जरुर खो बैठा है । किंतु जब पुलिस ने उस पर गोलियाँ चलानी शुरु की तो वो डर के मारे बस की खिडकिया बंद करने लगा , उसने दस और पचास के नोटो पर अपना संदेश लिखकर के भेजा कि उसे राज ठाकरे से बात करनी है । हमारे देश मे जहाँ सुप्रीम कोर्ट से सजा प्राप्त मुजरिम को फाँसी देने के लिए इतना समय लगता है, वहाँ एक बेगुनाह को जान से मारने में पुलिस को केवल पंद्रह मिनटो का समय लगा । प्रत्यक्षदर्शियो का साफ कहना है कि उसने किसी भी यात्री को कोइ नुकसान नही पहुँचाया ।क्षेत्रवाद की राजनीती के बुरे परिणाम सामने आने लगे है,समय रहते यदि इस पर काबू नही किया गया तो इससे भी अधिक भयंकर परिणाम सामने आ सकते है ।इस पोस्ट को पढकर अपनी राय अवश्य दे ।विडियो एनडीटीवी के सौजन्य से
बुधवार, 22 अक्टूबर 2008
क्या हम हिंदुस्तानी नहीं है
मै मुंबई मे रहता हूँ, कल मै खुश रहना चाहता था क्योंकि भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व-चैंपियन ऑस्ट्रेलिया पर शानदार जीत दर्ज की थी । किंतु मेरी खुशी कम थी क्योकि रविवार को रेलवे भरती बोर्ड की परीक्षाए देने मुंबई आए उत्तर-भारतीय छात्रो को "मनसे" कार्यकर्ताओ ने बर्बरता पूर्वक पीटा था । मै भी बिहार का हूँ,इसलिए मै दुखी नही था मै हिंदुस्तानी हूँ इसलिए दुखी था ।इस कार्य के प्रेरणास्त्रोत "मनसे" संस्थापक राज ठाकरे को मुंबई पुलिस ने मंगलवार तडके गिरफ्तार किया । गिरफ़्तारी की खबर फैलते ही मनसे कार्यकर्ता एक बार फिर सडको पर उतर आए,कई ऑटोरिक्शाओ और टैक्सियो को आग के हवाले किया गया,कुछ बेस्ट की बसो पर भी हमले हुए,मेरे पिता जो कि काम से जल्दी बाहर निकल गये थे एक घंटे मे ही लौट आए । मै वैसे आमतौर पर घर से देरी से निकलता हूँ, और टेस्ट मैच का परिणाम भी निकलनेवाला था इसलिये मैच खत्म होने के बाद ही घर से निकला ।सडके सुनसान थी , ईक्का - दुक्का वाहन ही चल रहे थे , बीस मिनटो के इंतजार के बाद मुझे बेस्ट की बस मिली । दफ़्तर पहूँचने पर भी चारो ओर इसी बात की चर्चा थी "भैया " विरुद्ध "धरती-पुत्र" की ।मेरी एक मराठी महिला सहकारी का कहना था " राज ठाकरे जो भी कुछ कर रहे है वो हम मराठीयो की भलाइ के लिये कर रहे है यदि उत्तर भारतीय मुंबई मे नही आएंगे तभी हमारे मराठी युवा बेरोजगारी से बच पाएंगे " जब मैने इस पर उन्हे कहा कि इसके लिए परीक्षा देने आए विद्यार्थीयों को पीटने की क्या जरुरत थी तो मेरे एक दूसरे सहकारी ने जवाब दिया कि इन नौकरियो के लिये इश्तेहार केवल उत्तर भारतीय अखबारो मे दिये जाते है जबकि महाराष्ट्र के मराठी अखबारो मे नही ।इस विषय पर मै पोस्ट के अंत मे या अगली पोस्ट मे लिखूँगा, इन बातो का जिक्र मैने इसलिए किया क्योकि इन संवाद-परिसंवाद ने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम हिंदुस्तानी नही है ।हर कोइ ये क्यो कहता है कि वो मराठी है , बिहारी है , पंजाबी है ये है, वो है, क्या वो इनमे से कुछ भी होने से पहले हिंदुस्तानी नही है । हमारे देश मे साधनो के अनुपात मे जनसंख्या अधिक है इसलिए नौकरियाँ पाने के लिये लोगो की लंबी लाइने लगती है, लेकिन मैने मुंबई मे मैने ये कभी नही देखा कि कोइ मेहनती और काबिल युवा बेरोजगार बैठा है,जिसने भी सच्ची लगन से मेहनत की है उसे देर - सवेर सफलता अवश्य मिली है ।हमारे देश का संविधान ये कहता है कि देश का कोइ भी नागरिक देश के किसी भी हिस्से मे जा कर रह सकता है अपना जीवन - यापन कर सकता है लेकिन क्या राज ठाकरे जैसे नेता अपने राजनीतीक स्वार्थ के लिए खुले-आम संविधान को मानने से इनकार नही कर रहे है । क्या एसे नेता वही पुरानी सफल नीती जिसके बल पर अंग्रेजो ने हम पर १५० वर्षो तक शासन किया, फिर से नही आजमा रहे है ।ये जनता को टुकडो मे बाँट देना चाहते है ताकि उनपर शासन कर सके ।जब तक हम स्थानीय स्तर से उपर उठ कर,राष्ट्रीय स्तर पर नही सोचेंगे तब तक न तो हम निजी तौर पर और न ही एक राष्ट्र के रुप मे आगे नही बढ सकते है।
शनिवार, 18 अक्टूबर 2008
मेरे सपनो की उडान
मेरे सपनो की उडान ,
सर पर हो एक अपनी छत
शहर मे हो एक अपना मकान
चार पहियों वाला एक वाहन हो
जिसमे घ्रर से दफ़्तर
दफ़्तर से घर आवागमन हो ।
घर मे एक सुंदर पत्नी हो
दफ़्तर मे एक सुंदर संगिनी हो
बॉस सदा रहे मुझ पर मेहरबान
मेरे सपनो की उडान ।
पत्नी मुझसे कभी न रूठे
संगिनी का साथ भी कभी ना छूटे
हफ़्ते भर हो संगिनी का संग ।
सप्ताहांत मे पत्नी रखे मेरा ध्यान
पत्नी संग छुट्टी मनाउँ
दूर हो एसे हफ़्ते भर की थकान
मेरे सपनो की उडान ।
मुझ संग हो न कोइ अनहोनी
बम भी फटे तो मुझसे दूर
जिंदगी है छोटी ,बडे बडे है अरमान
मेरे सपनो की उडान ।
सर पर हो एक अपनी छत
शहर मे हो एक अपना मकान
चार पहियों वाला एक वाहन हो
जिसमे घ्रर से दफ़्तर
दफ़्तर से घर आवागमन हो ।
घर मे एक सुंदर पत्नी हो
दफ़्तर मे एक सुंदर संगिनी हो
बॉस सदा रहे मुझ पर मेहरबान
मेरे सपनो की उडान ।
पत्नी मुझसे कभी न रूठे
संगिनी का साथ भी कभी ना छूटे
हफ़्ते भर हो संगिनी का संग ।
सप्ताहांत मे पत्नी रखे मेरा ध्यान
पत्नी संग छुट्टी मनाउँ
दूर हो एसे हफ़्ते भर की थकान
मेरे सपनो की उडान ।
मुझ संग हो न कोइ अनहोनी
बम भी फटे तो मुझसे दूर
जिंदगी है छोटी ,बडे बडे है अरमान
मेरे सपनो की उडान ।
गुरुवार, 16 अक्टूबर 2008
अब आगे बढना है हमे
पथ मे कांटे कई बिछे है ,मार्ग रोकती बाधाए ,
लांघ कर इनको है जाना ।
पाषाण-सम बाधाओ को तोडकर, नदी की मानिंद बहना है हमे,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
मेहनत से हम जी न चुराए,
साथ मिलकर श्रम-नीर बहाए ।
स्वर्ण-सम उज्जवलित रहने के लिये , श्रम-अग्नि मे तपना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
मोह तुमको बीच पथ मे रोकेगा और टोकेगा,
मंजिल हो जायेगी दृष्टि से ओझल ।
मोह-पाश के इस चक्र्व्यूह को, तोडकर निकलना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
अब समय आ गया है,
दुनिया को हम ये दिखा दे हम मे कितना सामर्थ्य है ।
विश्व रुपी इस गगन मे, सूर्य सा चमकना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
ये लाइने मैंने ख़ुद को प्रोत्साहित करने के लिए लिखी है :
लांघ कर इनको है जाना ।
पाषाण-सम बाधाओ को तोडकर, नदी की मानिंद बहना है हमे,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
मेहनत से हम जी न चुराए,
साथ मिलकर श्रम-नीर बहाए ।
स्वर्ण-सम उज्जवलित रहने के लिये , श्रम-अग्नि मे तपना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
मोह तुमको बीच पथ मे रोकेगा और टोकेगा,
मंजिल हो जायेगी दृष्टि से ओझल ।
मोह-पाश के इस चक्र्व्यूह को, तोडकर निकलना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
अब समय आ गया है,
दुनिया को हम ये दिखा दे हम मे कितना सामर्थ्य है ।
विश्व रुपी इस गगन मे, सूर्य सा चमकना है हमे ,
आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
ये लाइने मैंने ख़ुद को प्रोत्साहित करने के लिए लिखी है :
शनिवार, 11 अक्टूबर 2008
जन्मदिन मुबारक महानायक
आज अमिताभ बच्चन जी का जन्मदिन हैं किन्तु इसे मानाने के लिए उन्हें घर की छत नसीब नहीं हुई । कल देर रात पेट में दर्द की शिकायत की वजह से उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भरती करना पड़ा , अस्पताल में उनका पूरा परिवार उनके साथ हैं हलाकि डोक्टोरो ने उन्हें खतरे से बाहर बताया हैं । मैं उनकी शीघ्र स्वस्थ लाभ की कामना करते हुए इश्वर से उनकी लम्बी आयु के लिए कामना करता हूँ और हाँ इस वक़्त टीवी पर उनके वर्ल्ड टूर का आनंद भी ले रहा हूँ ।
मंगलवार, 7 अक्टूबर 2008
अलविदा दादा
आज सौरव गांगुली ने संन्यास लेने की घोषणा कर दी है । इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट इतिहास मे एक युग का अंत हो गया ।उनके संन्यास लेने के बारे में चर्चा तो काफ़ी दिनो से चल रही थी किंतु इस प्रकार वे इतनी जल्दी इसकी घोषणा कर देंगे ये किसी ने नही सोचा था । कुछ लोग इसे दादा और बोर्ड के बीच हुआ एक करार मानते है किंतु मेरी राय में यह उनके लगातार परीक्षण और स्वंय को साबित करने का दबाव का परिणाम हैं ।आगामी श्रॄंखला में स्वंय़ को चयनित करवाने के लिए उन्हे अपने कई वर्ष बाद आये सुरेश रैना की कप्तानी में भारतीय ए टीम में खेलना पडा , इस घटना ने उनके आत्मसम्मान को जो ठेस पहूँचाई उसका अंत उनके संन्यास लेने की घोषणा के साथ ही हुआ । जब भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वे पहली बार लॉर्डस के एतिहासिक मैदान पर उतरे तो अपनी पहली पारी में ही शतक ठोंक कर उन्होंने अपने आगमन का अहसास करा दिया । उनका कैरियर उतार - चढाव से भरपूर रहा पर उसमे एक सुखद मोड तब आया जब मैच फिक्सिंग के काले साये की वजह से भारतीय कप्तान का पद खाली हुआ और सिनीयर खिलाडी सचिन तेंदुलकर ने काँटो का ताज पहनने से इनकार कर दिया ।ऑफ साइड मे भगवान का दर्जा रखने वाले इस जुझारु खिलाडी की कप्तानी में भारतीय टीम ने कई मुकाम हासिल किये, जिनमे पाकिस्तान मे टेस्ट और वन-डे श्रॄंखला में जीत, नाटवेस्ट ट्रॉफी और वर्ल्ड कप फाइनल प्रमुख है । सौरव गांगुली को कपिल देव के पश्चात ऎसे भारतीय कप्तान के रुप मे याद किया जाएगा जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक नये मुकाम पर पहुँचाया । सौरव गांगुली के संन्यास लेने से टीम ने एक जुझारु और संर्घषशील खिलाडी को खो दिया है जिसकी जगह शायद ही कोई ले सके ।
सोमवार, 6 अक्टूबर 2008
विडंबना - २
पिछले दिनों कुछ आवश्यक कार्य से मुझे इलाहाबाद जाना पड़ा , वहा पर रात को देरी से पहुँचने की वजह से मुझे कुछ घंटे प्लेटफोर्म पर ही बिताने पड़े , इस पोस्ट को मैने डायरी में तो वही बैठे-बैठे ही लिखा किंतु आपके समक्ष अब प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
रात्रि के करीब दो बजे मेरी ट्रेन इलाहबाद स्टेशन पर पहुंची , भूखा होने की वजह से मैं किसी अच्छे होटल की तलाश में स्टेशन से बाहर निकला तो एक डिसेंट होटल मिला अन्दर जाकर मैंने रोटी जो कि गर्मागर्म तंदूरी से निकल रही थी और एक सब्जी आर्डर की । खाना खाते हुए मेरी दृष्टि होटल की दीवार पर लिखे हुए संदेश पर गई जहा बड़े अक्षरो में लिखा था "धुम्रपान निषेध", "शराब पीना मना हैं " । खैर खाना खाते हुए ही जब मेरी दृष्टि मेरे दाई ओर स्थित टेबल पर गई तो मैंने देखा की वहा पर शराब पी जा रही थी और वेटर उन्हें बाकायदा चखना भी मुहैया करा रहा था । मैंने मेरे टेबल पर आए हुए वेटर से जब पुछा तो उसने मुझे बताया की वे लोग ट्रक ड्राईवर हैं और नियमित ग्राहक हैं इसलिए उन्हें ये सुविधा प्राप्त हैं।
हमारे देशवासियॊं में ये एक बात हैं की हम उन लोगो के प्रति जो की नियमित हमारे संपर्क में आते हैं और जिनसे हमारा तनिक भी लगाव होता है हम उन्हें विशेष सुविधाये मुहैया कराने में पीछे नही हटते और कभी - कभी तो कुछ महीनो की जान-पहचान में ही हम लोगो पर पूर्ण रुप से विश्वास कर लेते है,इस विश्वास को पक्का होने मे कम समय लगता है जब संबधित व्यक्ति से हमारा कोइ व्यवसायिक फ़ायदा जुडा हो,पूर्ण रूप से उनके बारे में जाने बिना ये धारणा बना लेते हैं की वे लिए हम जाने अनजाने उन्हें कुछ न कुछ विशेष सुविधाए प्रदान करते हैं ।वर्तमान समय मे जब सुरक्षा की दृष्टी से हम एक नाजुक मोड पर है हमें हमारी इस पुरानी आदत को बदलना होगा ।
हमेंशा सतर्क रहे और किसी भी व्यक्ति के उपर आसानी से विश्वास न करे इसी मे समाज और देश की भलाई है और इसकी शुरवात हम उपर लिखे हुए छोटे उदाहरण से कर सकते हैं अपने नियमित ग्राहक को भी नियम के खिलाफ़ शराब न परोसकर
रात्रि के करीब दो बजे मेरी ट्रेन इलाहबाद स्टेशन पर पहुंची , भूखा होने की वजह से मैं किसी अच्छे होटल की तलाश में स्टेशन से बाहर निकला तो एक डिसेंट होटल मिला अन्दर जाकर मैंने रोटी जो कि गर्मागर्म तंदूरी से निकल रही थी और एक सब्जी आर्डर की । खाना खाते हुए मेरी दृष्टि होटल की दीवार पर लिखे हुए संदेश पर गई जहा बड़े अक्षरो में लिखा था "धुम्रपान निषेध", "शराब पीना मना हैं " । खैर खाना खाते हुए ही जब मेरी दृष्टि मेरे दाई ओर स्थित टेबल पर गई तो मैंने देखा की वहा पर शराब पी जा रही थी और वेटर उन्हें बाकायदा चखना भी मुहैया करा रहा था । मैंने मेरे टेबल पर आए हुए वेटर से जब पुछा तो उसने मुझे बताया की वे लोग ट्रक ड्राईवर हैं और नियमित ग्राहक हैं इसलिए उन्हें ये सुविधा प्राप्त हैं।
हमारे देशवासियॊं में ये एक बात हैं की हम उन लोगो के प्रति जो की नियमित हमारे संपर्क में आते हैं और जिनसे हमारा तनिक भी लगाव होता है हम उन्हें विशेष सुविधाये मुहैया कराने में पीछे नही हटते और कभी - कभी तो कुछ महीनो की जान-पहचान में ही हम लोगो पर पूर्ण रुप से विश्वास कर लेते है,इस विश्वास को पक्का होने मे कम समय लगता है जब संबधित व्यक्ति से हमारा कोइ व्यवसायिक फ़ायदा जुडा हो,पूर्ण रूप से उनके बारे में जाने बिना ये धारणा बना लेते हैं की वे लिए हम जाने अनजाने उन्हें कुछ न कुछ विशेष सुविधाए प्रदान करते हैं ।वर्तमान समय मे जब सुरक्षा की दृष्टी से हम एक नाजुक मोड पर है हमें हमारी इस पुरानी आदत को बदलना होगा ।
हमेंशा सतर्क रहे और किसी भी व्यक्ति के उपर आसानी से विश्वास न करे इसी मे समाज और देश की भलाई है और इसकी शुरवात हम उपर लिखे हुए छोटे उदाहरण से कर सकते हैं अपने नियमित ग्राहक को भी नियम के खिलाफ़ शराब न परोसकर
गुरुवार, 2 अक्टूबर 2008
इलाहाबाद प्रवास - १
किसी कारणवश मै दो दिन के लिये इलाहाबाद प्रवास पर गया था । जिस स्थान पर मै ठहरा था वह सन्गम के अत्यन्त निकट और गन्गातट के ठिक सामने स्थित था,घर की छ्त पर बैठ कर हुम गंगा के विहन्गम रूप का दर्शन कर सकते थे ।मैं और मेरे एक रिश्तेदार जो कि दिल्ली से आए थे,ने विचार किया कि गर सन्गम के इतने करीब आ गये है तो सन्गम-स्नान कर ही लेना चाहिये इस्लिये हम बडे हनुमान जी के मंदिर के पास स्थित किलाघाट पहुँचे । इस घाट का नाम किलाघाट इसलिए है क्योंकि यहाँ पर एक किला है । यहाँ के मल्लाहों ने हमें बताया कि इस किले की निंव तो सम्राट अशोक ने रखी थी किंतु उसके निर्माण का कार्य बादशाह अकबर ने पूरा किया ।यमुना नदी के तट पर स्थित इस किले का कुछ हिस्सा नदी के भीतर भी फैला हूआ हैं ।चूंकि अब इस किले में सेना का शस्त्रागार है इसलिये संपूर्ण किले का भ्रमण करने की मनाही है । किले के भीतर जहाँ पर ३९ देवी-देवताओ की मूर्तिया रखी है वहाँ पर आप जा सकते है । इन मूर्तियों के बारे में स्थानिय मछुआरों ने हमें बताया कि जब सम्राट अशोक ने किले की नींव रखी थी तो किले के भीतर मंदिर बनवाने के लिये ४० देवी-देवताओ की मूर्तियाँ बनवाई थी किन्तु जब वे किले का निर्माण पूरा ना करवा सके तो मूर्तियाँ तट पर हीं छोड दी । कालांतर में जब बादशाह अकबर ने किले का निर्माण कार्य पूरा करवाया तो उन्होने सारी मूर्तियाँ किले के भीतर रखवाने का हूक्म दिया । ३९ मूर्तियाँ तो किले के भीतर चली गई किंतु आखरी हनुमान जी की मूर्ती लाख प्रयासो के पश्चात भी किले के अन्दर नहीं ले जाई जा सकी । इसी मूर्ती के इर्द- गिर्द बने मंदिर को बडे हनुमान जी के मंदिर के नाम से जाना जाता है , और एसा मानना है कि गंगा जी हर वर्ष बाढ के समय हनुमान जी को स्नान कराती है ।इलाहाबाद-यात्रा की कुछ और बातें अगली पोस्ट में ।
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