२०१३ अपनी आखरी साँसे गिन रहा है,
सोच रहा है, कैसे बीत गए मेरे जीवन के ये ३६५ दिन,
अभी तो मैं जन्मा था, अभी अतीतरुपी काल मेरे प्राण हरने चला आया,
अपने जीवन को पीछे मुडकर देखा तो सोच में पड गया,
कितनी बाते कितनी यादे कुछ खट्टी, कुछ मीठी बातें,
हुआ दुखी मन जब मेरे कुछ सपूतो का सिर काट ले गया दुश्मन,
है गर्व मुझे कि मेंरे जीवन में ही हुआ महाकुंभ का आयोजन,
जिसे करोडो भगवान कहते थे उसने अपना यज्ञ समाप्त किया
मेरे ही जीवनकाल में,
आम आदमी भी उठ खडा हुआ शासक बना इस साल में ।
मैं तो जा रहा हूँ पर अपने प्राणॊ की आहुति से, उम्मीद का एक नव दीप जला रहा हूँ,
ये भविष्य को रोशन करेगा, तुम्हारे जीवन को हर्ष से भरेगा,
यही है मेरी अंतिम इच्छा ।
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