रविवार, 18 जनवरी 2009

बॉलीवुड मसाला , चायनीज तडके के साथ


कल मैने चाँदनी चौक से चाईना देखी ।थियेटर मे दो सौ रुपये का टिकट लेकर के फिल्म देखते हुए एसा लग रहा था मानो कुछ पुरानी फिल्मो के प्लॉटस को उठाकर जोड दिया गया है और उसे फिल्म की शक्ल देकर दिखाया जा रहा है । वही पुरानी बदले पर आधारित, परिवार का बिछडना कुंभ के मेले मे नही, चीन की दीवार पर फिर मिलना,याद्दाश्त का जाना पर फिर पुरानी तस्वीर देखकर उसका वापस आना । दो जुडवा भाई, नही बहने एक सुंदर,चतुर किंतु इमानदार तो दूसरी बेईमान और वांटेड, जो क्लाईमेक्स अपने परिवार से मिलने के बाद बदल जाती है,ये सभी घिसे पिटे प्लॉटस आपको निश्चित तौर पर याद होंगे, ये सारे इस फिल्म का अहम हिस्सा है । इन सबके बीच अक्षय कुमार की कॉमेडी और एक्शन से भरपूर एक्टिंग, अच्छी, किंतु कमजोर स्क्रीनप्ले और नाकाफी से लगने वाले डॉयलॉग्स की वजह से बेअसर सी लगनेवाली ।अन्य कलाकारो मे रणवीर शौरी और मिथुन दा अपने रोल्स को अच्छी तरह से निभा रहे है । दीपीका पादुकोण शोपीस ही है फर्क सिर्फ इतना है कि यहाँ वो जिस्म नही दिखाती बल्कि कुछ अच्छे एक्शन सीन्स मे अपना जलवा दिखाती है । अपने अभिनय के जौहर दिखाने के लिए उनके पास समय ही नही है । ज्यादातर दृश्यो मे वो या तो जासूसी कर रही है दूर खडी होकर अक्षय को देख रही है ।गार्डन लू के पास भी कुछ एक्शन दृश्यो के अलावा कुछ नही है करने को,पर वे अपनी एक छाप इस फिल्मे मे छोड जाते है । दीपीका पादुकोण के पिता के रोल मे जो चायनीज एक्टर है उनका काम भी सराहनीय है । फिल्म की पैकेंजिंग अच्छी है, किंतु उसमे निरंतरता की कमी साफ झलकती है और दर्शक कई बार अनुमान लगा लेता है कि अगले दृश्य मे क्या होगा जिससे उसे बोरियत महसूस होती है । मैने तो अपने पैसे वेस्ट कर लिये अगर आपने भी करना है तो किजिए पर बेहतर यही होगा कि डीवीडी बाजार मे आने का इंतजार करे, और मुझे यकीन है कि ये इंतजार लंबा नही होगा ।

FIGHT OF COVID - VIEW FROM A COMMONER

THE SITUATION IS GRIM AND A VIRUS HAS TAKEN US ALL INTO A SITUATION THAT WE ALL WANT TO GET OUT OF, BUT ARE ANXIOUS, RELUCTANT AND UNABLE ...